लेखक:
दिलीप मंडल
दिलीप मंडल पेशेवर संचारकर्मी हैं। देश के दस से अधिक प्रमुख मीडिया घरानों से लगभग दो दशक तक जुड़े रहे दिलीप मंडल वैकल्पिक मीडिया में लगातार प्रयोग कर रहे हैं। वे कॉलेज के दिनों में ही छात्र और मज़दूर आन्दोलनों से जुड़े और झारखंड अलग राज्य आन्दोलन में भी शरीक रहे। पत्रकारिता का विधिवत् प्रशिक्षण टाइम्स सेंटर फ़ॉर मीडिया स्टडीज से हासिल किया। ‘दैनिक जागरण’ के दिल्ली संस्करण के साथ सांस्थानिक पत्रकारिता की शुरुआत। इसके बाद ‘जनसत्ता’ के कोलकाता संस्करण, ‘इंडिया टुडे’, दैनिक ‘अमर उजाला’ और ‘इंटर प्रेस सर्विस’ से जुड़कर प्रिंट की पत्रकारिता की। सम्पादन से लेकर चुनाव और संसदीय रिपोर्टिंग तथा प्रिंट माध्यम में लगभग 10 साल का सफ़र। टीवी न्यूज़ चैनल ‘आज तक’, ‘ज़ी न्यूज़’ और ‘स्टार न्यूज़’ में एसोशिएट प्रोड्यूसर, असिस्टेंट एडिटर तथा सीनियर प्रोड्यूसर जैसे पदों पर रहे। देश के प्रमुख बिजनेस चैनल ‘सीएनबीसी आवाज़’ में एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर एवं टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह के बिजनेस पोर्टल ‘इकनॉमिक टाइम्स डॉट कॉम’ में सम्पादक रहने के दौरान कॉरपोरेट दुनिया और मीडिया कारोबार को क़रीब से देखने का अनुभव। अपेक्षाकृत महत्त्वपूर्ण काम सांस्थानिक पत्रकारिता से बाहर रहा। मीडिया घरानों में काम करने के दौरान और उसके बाद भी विकास, विस्थापन, जनस्वास्थ्य, शिक्षा नीति और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर देश के प्रमुख समाचार-पत्रों में निरन्तर लेखन। प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में सैकड़ों सम्पादकीय आलेख प्रकाशित। अनेक पुस्तकों के लिए अध्याय लिखे। प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘मीडिया का अंडरवर्ल्ड’, ‘चौथा खम्भा प्राइवेट लिमिटेड’, ‘जातिवार जनगणना : संसद, समाज और मीडिया’ आदि। एक अन्य पुस्तक ‘जातिवार जनगणना की चुनौतियाँ’ के सह-सम्पादक। पत्रकारिता प्रशिक्षण से भी जुड़े रहे। ‘डायवर्सिटी मैन ऑफ़ द ईयर पुरस्कार’—2010 से सम्मानित। |
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